भारत की नई तकनीकी क्रांति
3nm चिप निर्माण की ओर
Nexus Computer
5/14/20251 min read

परिचय
दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है और उसके केंद्र में है सेमिकंडक्टर चिप्स। आज जिस तकनीक की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह है 3-नैनोमीटर (3nm) चिप। यह चिप तकनीक की सबसे अत्याधुनिक उपलब्धियों में से एक है — जो स्मार्टफोन से लेकर सुपरकंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक, हर क्षेत्र को नई ऊर्जा देती है।
भारत, जो अब तक सॉफ्टवेयर शक्ति के रूप में जाना जाता रहा है, अब सेमिकंडक्टर उत्पादन में भी दुनिया की प्रमुख शक्तियों में शामिल होने की तैयारी कर रहा है। खासकर, स्वदेशी 3nm चिप निर्माण भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी नेतृत्व की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
3nm चिप क्या होती है?
3nm चिप में ट्रांजिस्टर का आकार केवल 3 नैनोमीटर होता है (1 नैनोमीटर = 1 अरबवां मीटर)। इसका अर्थ है कि अधिक ट्रांजिस्टर को एक छोटी सी जगह में समेटा जा सकता है, जिससे:
चिप की प्रदर्शन क्षमता बढ़ती है,
ऊर्जा खपत कम होती है,
और प्रोसेसिंग स्पीड तेज होती है।
यह तकनीक हाई-एंड स्मार्टफोन, AI सर्वर, 5G डिवाइसेज़, स्वचालित वाहनों और रक्षा उपकरणों में प्रयोग की जाती है।
भारत की 3nm चिप निर्माण योजना
1. सरकारी पहल
भारत सरकार ने 2021 में Semicon India Program की शुरुआत की थी, जिसके तहत सेमिकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ₹76,000 करोड़ (लगभग $10 अरब) का प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया गया।
2. Tata Group की योजना
2024 में टाटा समूह ने तमिलनाडु और गुजरात में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने की योजना बनाई। पहले चरण में यह 28nm तकनीक से शुरू होगा, लेकिन लक्ष्य है 3nm चिप निर्माण की ओर बढ़ना।
3. विदेशी सहयोग
भारत ने ताइवान की TSMC, जापान की Renesas, और अमेरिका की Micron जैसी कंपनियों के साथ सहयोग की पहल की है। इसके तहत तकनीक स्थानांतरण (Technology Transfer) और संयुक्त अनुसंधान पर काम हो रहा है।
क्यों जरूरी है भारत का अपना 3nm चिप?
आत्मनिर्भर भारत: चीन और अमेरिका के बीच तकनीकी प्रतिस्पर्धा ने दिखा दिया है कि विदेशी आपूर्ति पर निर्भरता खतरनाक हो सकती है।
डिजिटल इंडिया को गति: 5G, स्मार्ट सिटी, डिजिटल भुगतान और AI जैसे मिशनों को स्वदेशी चिप से मजबूती मिलेगी।
रोजगार और अर्थव्यवस्था: अनुमान है कि सेमिकंडक्टर इंडस्ट्री भारत में 10 लाख से अधिक रोजगार पैदा कर सकती है।
सुरक्षा और रक्षा: भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय चिप जरूरी है, जो अपने देश में बनी हो।
चुनौतियाँ
उच्च लागत: एक 3nm फैब यूनिट बनाने में $15-20 अरब डॉलर का खर्च आता है।
तकनीकी अनुभव की कमी: भारत के पास अभी तक EUV (Extreme Ultraviolet Lithography) जैसी अत्याधुनिक तकनीक का अनुभव नहीं है, जो 3nm निर्माण के लिए आवश्यक है।
प्रशिक्षित मानव संसाधन: सेमीकंडक्टर डिजाइन, फैब्रिकेशन और टेस्टिंग के लिए विशेष स्किल्स की आवश्यकता होती है।
सप्लाई चेन: चिप निर्माण के लिए आवश्यक रॉ मटेरियल, गैस, और उपकरणों की स्थायी आपूर्ति एक बड़ी चुनौती है।
उज्ज्वल भविष्य की ओर
भारत अभी 3nm निर्माण में शुरुआती चरण में है, लेकिन:
IITs और NITs में सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और फैब्रिकेशन पर नए कोर्स शुरू हो चुके हैं।
सरकार ने ISRO, DRDO, और BHEL जैसी संस्थाओं को भी इस दिशा में शामिल किया है।
आने वाले 5 वर्षों में भारत अपने पहले प्रोटोटाइप 3nm चिप का निर्माण कर सकता है।
निष्कर्ष
भारत का सपना सिर्फ चिप खरीदने वाला देश बनने का नहीं है, बल्कि उन्हें डिजाइन और निर्मित करने वाला भी बनना है। 3nm चिप निर्माण इस दिशा में एक बड़ा और साहसिक कदम है। यदि सरकार, उद्योग और शिक्षा क्षेत्र एक साथ मिलकर कार्य करें, तो आने वाले दशक में भारत दुनिया की सेमीकंडक्टर राजधानी बन सकता है।
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